Sunday 13 September 2015

माँ

माँ, मैं शून्य था।

तुम्हारी कोख में आने से पहले

शून्य आकार था। एकदम शून्य

आपने जीवन दिया मुझे...

अंश बना तुम्हारा...

अनेक उपकार हैं तुम्हारे

मैं आहवान करता हूँ माँ तुम्हारा!



मनु वैरागी एक कविता

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